Friday, July 26, 2019

Movie

ऐक्ट्रेस इन दिनों चर्चा में हैं अपनी नई फिल्म '' को लेकर। इस फिल्म में सोनाक्षी सेक्स क्लीनिक चलाने वाली बेबी बेदी का किरदार निभा रही हैं। पिछले दिनों इसी सिलसिले में उनसे हुई हमारी खास बातचीत: आपने हमेशा फैमिली एंटरटेनर फिल्में की हैं। ऐसे में सेक्स क्लिनिक चलाने वाली लड़की का रोल करने को लेकर कोई हिचक नहीं हुई? आपको यह क्यों लगता है कि यह एक फैमिली एंटरटेनर नहीं है। यह भी एक फैमिली एंटरटेनर ही है। आप मेरा ट्रैक रेकॉर्ड देखें, तो मैं फैमिली एंटरटेनर ही करती हूं, इसीलिए जब मैंने इसकी वन लाइन स्टोरी सुनी, तो मुझे लगा कि ये लोग ऐसी सेक्स क्लिनिक वाली फिल्म लेकर मेरे पास क्यों लेकर आ रहे हैं, लेकिन जब मैंने पूरी स्क्रिप्ट सुनी, तो मुझे लगा कि इतना मौजूं विषय है, इतना इंट्रेस्टिंग टॉपिक है कि जितनी हमारी आबादी है, उसके बाद हम सेक्स को टैबू कैसे मान सकते हैं? जिस वजह से हम और आप दुनिया में हैं, वह चीज गंदी कैसे हो सकती है और उसके बारे में हम खुलकर बात क्यों नहीं कर सकते? तो मुझे लगा कि यह बहुत जरूरी मुद्दा है और ऐसी फिल्म करनी चाहिए। इसमें हम औरतों की बराबरी की बात भी कर रहे हैं कि जब एक गायनाकॉलजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) मर्द हो सकता है, तो एक लड़की को एक सेक्स क्लिनिक क्यों नहीं चला सकती? तो यह छोटी-छोटी बातें हैं, जो असल में बड़ी-बड़ी बातें हैं, जिसके बारे में कोई बात नहीं करना चाहता। हम उसके बारे में बात कर रहे हैं। हमारे समाज में सेक्स को टैबू माना जाता है। स्कूलों में टीचर तक वह चैप्टर नहीं पढ़ाते। आपने पर्सनली कभी ऐसा कोई अनुभव किया है?बिल्कुल, आज भी बहुत से स्कूलों में सेक्स एजुकेशन नहीं होती और मुझे नहीं लगता कि हमारे स्कूल में भी थी। ये चीजें छुपाई जाती हैं। इसीलिए, बच्चे भी इसे लेकर हैरानी या शर्म महसूस करते हैं। अगर इसे नॉर्मलाइज किया जाता, तो मुझे नहीं लगता कि ऐसा हाल होता। ईमानदारी से कहूं, तो यह फिल्म करने की एक और वजह यही है कि मैं मुंबई में पली-बढ़ी हूं। इतनी मॉडर्न फैमिली से हूं, उसके बावजूद मैं भी उन्हीं लोगों में से एक हूं, जिसने कभी अपने पैरंट्स के साथ इस बारे में बात नहीं की। जब यह मेरे साथ हो सकता है, तो कल्पना कीजिए और कितने करोड़ों लोग होंगे, जो इसके बारे में अपने पैरंट्स तक से बात नहीं कर पाते हैं। यह भी इस फिल्म को करने की एक बड़ी वजह रही। हमारे यहां औरतों का सेक्स पर बातें करना खास तौर पर अनैतिक या गंदा माना जाता है। मसलन, स्वरा भास्कर ने साल भर पहले एक मास्टबेशन सीन किया था, उसे लेकर अब तक उन्हें ट्रोल किया जाता है, आपकी इस पर क्या राय है?यह लोगों का माइंडसेट है। स्वरा ने जो किया था, वह एक कैरेक्टर के तौर पर किया था। उन्होंने एक किरदार निभाया था, लोगों को अगर उस पर आपत्ति है, तो दिक्कत उनमें (स्वरा) नहीं है, लोगों के माइंडसेट में है। इसी माइंडसेट के बारे में हम इस फिल्म में भी बात कर रहे हैं। हमें हमेशा से सिखाया गया है कि ये चीजें टैबू हैं और उसी तरह से हमारे दिमाग को ट्रेन किया गया है। मैंने इस फिल्म के जरिए एक कहावत भी सीखी है कि बीमारी शरीर में नहीं, दिमाग में होती है, तो इस माइंडसेट का भी इलाज जरूरी है। पहले ऐक्टर्स ऐसे सेक्स या समलैंगिक किरदारों को निभाने से बचते थे। अब सोनम हों या स्वरा, विकी या आयुष्मान, ऐसे रोल्स करने से नहीं डरते। इस बदलाव की क्या वजह मानती हैं? आप खुद ऐसे किरदारों को लेकर कितनी सहज हैं? पहले तो, ऐक्टर्स को डरना क्यों चाहिए? यह समाज की सचाई है। यह दुनिया में हो रहा है। ऐसे लोग होते हैं और सिनेमा सोसायटी का रिफ्लेक्शन ही होता है। अगर ये चीजें दुनिया में होंगी, तो उसके बारे में फिल्में बनेंगी ही बनेंगी। आपने बिलकुल सही कहा कि ऐक्टर्स अब ऐसे रोल्स निभाने को लेकर कम डर रहे हैं, जो बहुत अच्छी बात है, क्योंकि जो सोसायटी में हो रहा है, वह सिनेमा में दिखाया ही जाना चाहिए। रही बात मेरी, तो मेरा फिल्म साइन करने का पहला क्राइटेरिया होता है कि वह फिल्म मैं अपनी फैमिली के साथ बैठकर देख पाऊंगी या नहीं? अगर मैं अपनी मां को साइड में बिठाकर मैं वह पिक्चर देख पाऊंगी, तो मैं जरूर करूंगी। यह बात सिर्फ बोल्ड सीन की नहीं है, ऐसा भी हो सकता है कि मुझे स्क्रीन पर कुछ बहुत अनएथिकल करना हो, तो मैं वह भी नहीं करूंगी। एक ऐक्टर के तौर पर मैं वही करूंगी, जिसमें मैं कंफर्टेबल हूं। इस फिल्म के अलावा, आप 'दबंग', 'मिशन मंगल', 'भुज' जैसी फिल्मों में फिर सलमान, अक्षय और अजय जैसे अपने हिट ऑनस्क्रीन पार्टनर्स के साथ आ रही हैं। इतने सालों में इनके साथ अपनी बॉन्डिंग को कैसे देखती हैं?बहुत अच्छा लगता है कि जिन लोगों के साथ आपने इतना काम किया है और आपकी फिल्में इतनी सक्सेसफुल रही हैं, वे आपके साथ दोबारा काम करना चाहते हैं। यह बहुत अच्छी फीलिंग होती है और ये तीनों ही बहुत अलग तरह की फिल्में हैं, तो मेरे पास एक ऐक्टर के तौर पर भी कुछ कर दिखाने का बहुत ज्यादा स्कोप है। रही मेरे को-स्टार्स की बात, तो मैं शुक्रगुजार हूं कि मेरी सबके साथ बहुत अच्छी जमती है, इसलिए मुझे उनके साथ फिर काम करने का मौका मिल रहा है। 'मिशन मंगल' भी काफी इंट्रेस्टिंग लग रही है?'मिशन मंगल' भारत के मंगल मिशन की सच्ची कहानी है। हमने मंगल में जो सैटेलाइट भेजा था और उसमें महिला साइंटिस्ट जुड़ी थीं, जिन्होंने यह काम कर दिखाया। यह उनकी सच्ची कहानी है। मेरे लिए इतने सारे टैलंटेड ऐक्टर्स के साथ फिल्म में होना बेहतरीन अहसास है। हमें काम करते वक्त बहुत ज्यादा मजा आया। मैंने वाकई बहुत इंजॉय किया। पिछले दिनों एक शख्स ने आप पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया। क्या आपको लगता है कि आपको टारगेट बनाया जा रहा है?मुझे लगता है कि ऐक्टर्स एक आसान निशाना हो जाते हैं। इस बारे में जो मुझे कहना था, वह मैंने कह दिया। बाकी, जो होना है या करना है, वह अथॉरिटीज करेंगी। 'कलंक' एक बड़ी और स्पेशल फिल्म थी, लेकिन लोगों ने उसे पसंद नहीं किया। कहां कमी रह गई?अरे, छोड़िए न कल की बातें, कल की बात पुरानी। अब आगे की बात करते हैं। चलिए, आगे की बात करते हैं, तो रज्जो के किरदार में इस बार क्या नया देखने को मिलेगा? वह मैं अभी बता दूंगी, तो फिल्म में क्या सीक्रेट रह जाएगा। वह तो फिल्म देखने पर ही पता चलेगा, लेकिन रज्जो, चुलबुल, ये जो किरदार हैं, लोग उनको इतना प्यार करते हैं, तो जैसे ऑडियंस ने उन्हें प्यार दिया है, वैसा ही देखने को मिलेगा और कुछ नया भी होगा, लेकिन जो नई चीज है, वह मैं अभी नहीं बता सकती, क्योंकि अभी तो फिल्म की शूटिंग चल रही है।


from Entertainment News in Hindi, Latest Bollywood Movies News, मनोरंजन न्यूज़, बॉलीवुड मूवी न्यूज़ | Navbharat Times https://ift.tt/2GxD5rS
https://ift.tt/2FLzuri

No comments:

Post a Comment