Sunday, November 3, 2019

Movie

ऐक्ट्रेस कृति सेनन अपनी फिल्म हाउसफुल 4 की सफलता का जश्न मना रही हैं। वहीं, आने वाले दिनों में वह पीरियड ड्रामा पानीपत, सरॉगसी पर आधारित मिमी और राहुल ढोलकिया की थ्रिलर फिल्म में दिखेंगी। करियर पर कृति से खास बातचीत: आपको बॉलिवुड में पांच साल हो गए। क्या अब भी खुद को आउडसाइडर मानती हैं या पूरी तरह इस इंडस्ट्री का हिस्सा बन चुकी हैं? इंडस्ट्री का हिस्सा तो निश्चित तौर पर हूं। बेशक, मैं आउटसाइडर हूं, लेकिन अब ज्यादा लोगों को जानती हूं तो लगता है कि मैं इंडस्ट्री का हिस्सा हूं। हालांकि, अब भी मेरी कोई बैकिंग नहीं है या कोई ऐसा एक इंसान नहीं है, जो हर फिल्म में मेरी मदद कर रहा हो। मेरी फिल्में अलग-अलग लोगों के साथ रही हैं और अपने इस सफर पर मुझे गर्व है। मैं हर फिल्म के साथ खुद को खोजने की कोशिश कर रही हूं। ऐक्ट्रेस बनना कोई मेरे बचपन का सपना नहीं था, तो मैंने कभी ऐक्टिंग सीखी नहीं थी, न कभी कोई वर्कशॉप किया था, न थिएटर किया था। मैंने जो सीखा, वह सेट्स पर ही सीखा। मुझे खुशी है कि मैंने ग्लैमरस रोल से दूर हटकर 'बरेली की बर्फी' की, जिसने मेरे प्रति लोगों की सोच बदली और मुझे 'लुका-छिपी' जैसी फिल्म मिली, जिससे लोग मुझे ऐसी स्मॉल सिटी गर्ल के रूप में भी देखने लगे। वहीं, अपनी अगली फिल्मों से मैं अपनी इस इमेज को भी तोड़ना चाहूंगी और दूसरी दुनिया में जाना चाहूंगी। आप अलग-अलग तरह की फिल्में कर रही हैं। कोई खास जॉनर है, जिसे आप एक्सप्लोर करना चाहती हैं? मैं लव स्टोरीज की फैन हूं। ऐसी प्योर सच्ची लव स्टोरी वाली फिल्म करना चाहूंगी, जो आपके दिल को छू जाए। आजकल वैसी फिल्में बहुत कम देखने को मिलती हैं। खासकर, अपने यहां पर तो वैसी फिल्में बहुत ही कम हो गई हैं। मैं वाकई उम्मीद करती हूं कि मुझे कोई बहुत खूबसूरत इंटेंस लव स्टोरी करने को मिले। इसके अलावा, मैं काफी समय से थ्रिलर फिल्म करना चाहती थी, जो अब जाकर मुझे मिली है। थ्रिलर मैंने कभी किया नहीं है। मुझे थ्रिलर फिल्में देखना बहुत पसंद है, लेकिन एक अच्छी थ्रिलर स्क्रिप्ट बहुत मुश्किल से मिलती है। आपने कहा कि आप काफी रोमांटिक हैं, तो अब तक प्यार से दूरी की क्या वजह है? मैं प्यार से बिल्कुल भी भागती नहीं हूं। मेरा मानना है कि यह जब होना होगा, खुद से होगा। यह कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसे आप ढूंढ़े या प्रेशर लें। जब वक्त सही होगा, इंसान सही होगा, तो वह ऑटोमैटिकली हो जाएगा। फिलहाल, अभी ऐसा कुछ नहीं है। आपकी हालिया रिलीज फिल्म हाउसफुल 4 बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही है, लेकिन यह मल्टीस्टारर फिल्म करते वक्त कभी स्क्रीन स्पेस को लेकर इनसिक्यॉरिटी नहीं महसूस हुई? नहीं, जब मल्टीस्टारर फिल्म कर रहे होते हैं, जैसे मैंने 'दिलवाले' भी की है, तो पता होता है कि उसमें बहुत ऐक्टर्स हैं। तब आप ये सोचकर नहीं जाते कि आप ही अकेले दिखेंगे। आपको पता होता है कि आपका स्क्रीन टाइम बाकी कलाकरों के साथ बंटेगा, जो ठीक है। ऐसी फिल्मों का अपना फ्लेवर होता है और एक ऐक्टर के तौर पर इनमें आप बस अपना पार्ट सही तरीके से निभाना चाहते हैं। फिल्म पानीपत में आप पहली बार एक पीरियड ड्रामा का हिस्सा बनी हैं। उसके लिए कितनी अलग तैयारी करनी पड़ी? हर फिल्म के लिए अलग तैयारी करनी पड़ती है, वह किसी भी जॉनर की हो। 'पानीपत' जैसी फिल्म में यह थोड़ा ज्यादा मुश्किल हो जाता है, क्योंकि वह ऐसे वक्त के बारे में है, जो हमें पता नहीं है। हमने नहीं देखा कि वे लोग कैसे होते होंगे, कैसे बात करते होंगे, जैसे इसमें मेरा पार्वती बाई का किरदार मराठी है, तो मुझे मराठी लहजा लाना था। मैं दिल्ली से हूं, पंजाबी हूं, तो मेरे लिए मराठी सही बोलना भी एक चुनौती थी। फिर, पीरियड फिल्म करते वक्त अक्सर हमारी बॉडी लैंग्वेज स्लो हो जाती है। हम एक ठहराव और नजाकत के साथ बात करते हैं। पार्वती बाई रॉयल खानदान में पैदा नहीं हुई। वह साधारण ब्राह्मण लड़की है, उसकी शादी शाही खानदान में होती है, तो वह इतनी रॉयल नहीं है। वह बिंदास और थोड़ी नखरीली है। मैं कई बार सोचती थी और आशुतोष सर को बोलती थी कि क्या मुझे थोड़ी और नजाकत नहीं लानी चाहिए, तो वे कहते थे कि नहीं, यही तो नई बात है तुम्हारे किरदार में। किसे पता है कि वे लोग ऐसे बोलते थे, हमने यह इमेज बना रखी है, तो यह एक नई बात थी। आपकी बहन नुपुर भी ऐक्ट्रेस बनने की राह पर हैं। उनको आपने क्या सलाह या गाइडेंस दी? मैं इस बात की कद्र करती हूं कि वह भी अपना सफर खुद तय करना चाहती हैं, जैसे मैंने अपनी राह खुद चुनी। मैं केवल यही सलाह देती हूं कि वह इतना धैर्य रखें कि अपनी पहली सही फिल्म का इंतजार करें। वह बहुत इंपॉर्टेंट है। कई बार हमारे सामने ऐसी फिल्में आती हैं, जो हमें ललचाती हैं और हमें लगता है कि यार, ले लेते हैं। डेब्यू फिल्म के लिए इंतजार करना जितना मुश्किल है, वह उतना ही इंपॉर्टेंट है, तो मैंने उनसे यही कहा कि धैर्य रखो, मेरी लाइफ में भी बहुत से ऐसे मौके आए थे, लेकिन अगर मैं उनके लिए हां कह देती, तो शायद मेरी जर्नी आज यह नहीं होती। इसलिए, सही फिल्म के लिए इंतजार करना बहुत जरूरी है।


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