सुरों के सरताज मन्ना डे का आज जन्मदिन है। 1 मई 1919 को कोलकाता के एक रुढ़िवादी संयुक्त बंगाली परिवार में हुआ था। मन्ना डे हिंदी सिनेमा के उस स्वर्णिम युग के प्रतीक थे जहां उन्होंने अपनी अनोखी शैली और अंदाज से 'पूछो ना कैसे मैंने', ऐ मेरी जोहराजबीं' और 'लागा चुनरी में दाग' जैसे गीत गाकर खुद को अमर कर दिया। मोहम्मद रफी, मुकेश और किशोर कुमार के साथ मन्ना डे गायकों की उस मशहूर चौकड़ी का हिस्सा रहे, जिसने 1950 से 1970 के बीच हिंदी म्यूजिक इंडस्ट्री पर राज किया। गायकों की इस चौकड़ी में रफी, मुकेश और किशोर की आवाज जहां उस जमाने के नायकों की आवाज से मेल खाती थी, वहीं मन्ना डे अपनी अनोखी आवाज चलते एक अलग मुकाम रखते थे। पांच दशकों में फैले अपने लंबे सुरीले करियर में डे ने हिंदी, बंगाली, गुजराती, मराठी, मलयालम, कन्नड और असमी में 3500 से ज्यादा गीत गाए और 90 के दशक में संगीत जगत को अलविदा कह दिया। यह अंतिम गीत 1991 में आई फिल्म 'प्रहार' में गाया गीत 'हमारी ही मुट्ठी में' उनका अंतिम गीत था...। बतौर पार्श्व गायक मन्ना डे ने अपने करियर की शुरुआत 1943 में आई फिल्म 'तमन्ना' से की थी। 24 अक्टूबर 2013 को सुरों का सरताज हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह गया। पर, गानों के जरिए वह हमेशा हमारे दिलों में जिंदा हैं और रहेंगे। आइए, इस खास मौके पर हम उनके ऐसे 10 सदाबहार गानों को यहां सुनते हैं, जिसे बार-बार सुनने को दिल चाहता है। ऐ मेरी जोहराजबीं (फिल्म-वक्त) प्यार हुआ इकरार हुआ (फिल्म- श्री 420) लागा चुनरी में दाग (फिल्म- दिल ही तो है) ना तू कारवां की तलाश है ( फिल्म- बरसात की रात) झनक झनक तोरी बाजे पायजनिया ( फिल्म- मेरे हुजूर) यारी है इमान मेरा (फिल्म- जंजीर) ना चाहूं सोना चांदी (फिल्म- बॉबी) ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे (फिल्म- शोले) जिंदगी कैसी है पहेली (फिल्म- आनंद) तूझे सूरज कहूं या चंदा (एक फूल दो माली)
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