श्वेता दत्ता इंटरनेट के जरिए अलग अलग प्लैटफॉर्म्स पर अडल्ट और पॉलिटिकल कॉन्टेंट दिखाने को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय अपना रुख कड़ा कर रहा है। स्ट्रीमिंग सर्विसेज के मालिकों को दिल्ली बुलाकर 100 दिन का वक्त देकर सेल्फ रेग्युलेशन लागू करने को कहा गया है। दरअसल अब 'गेम्स ऑफ थ्रोंस' और 'नार्कोस' जैसे ड्रामा शोज दिखाने वाले तीसरे पर्दे के संचालकों को अपने कॉन्टेंट को लेकर सेल्फ सेंसरशिप तैयार करनी होगी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने उन्हें एक कानूनी कमिटी बनाकर कोड ऑफ कंडक्ट तैयार करने को कहा। चीन ने तैयार कर रखी हैं शर्तेंजावड़ेकर ने लगभग सभी ओटीटी प्लैटफॉर्म्स के प्रतिनिधियों को बुलाया और चीन का उदाहरण देकर समझाया कि कैसे उन्होंने अपने यहां वेब कॉन्टेंट दिखाने के लिए शर्तें बना रखी हैं और उस पर काबू रखते हैं। काफी लंबी चली इस मीटिंग में नेटफ्लिक्स, ऐमजॉन प्राइम, जी5, एमएक्स प्लेयर, ऑल्ट बालाजी, हॉटस्टार, वूट, जियो, सोनीलिव और आर्रे शामिल हुए थे। 4 ने डिजिटल कॉन्टेंट कंप्लेंट काउंसिल (डीसीसीसी) का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया। इस मामले में पिछले महीने एक कानूनी बॉडी बनाई जा चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, ऐमजॉन प्राइम को यह आइडिया पसंद नहीं आया, जबकि नेटफ्लिक्स, जी5, एमएक्स प्लेयर और ऑल्ट बालाजी ने इस पर विचार के लिए और वक्त मांगा है। हॉट स्टार, वूट, जियो, सोनीलिव और आर्रे डीसीसीसी से सहमत हैं, जो सूचना व प्रसारण मंत्रालय के तहत इंटरनेट और मोबाइल असोसिएशन (आईएएमए) के विचार से बना है। वैसे आईएएमए ने सेल्फ रेग्युलराइजेशन के लिए कोड बनाकर उसका ड्राफ्ट 17 जनवरी 2019 को ही तैयार कर लिया था। इसे 'कोड ऑफ बेस्ट प्रैक्टिस फॉर ' का नाम दिया गया था। इसमें ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर ऐसी चीजें दिखाने पर रोक की बात की गई जिसे भारतीय कोर्ट ने बैन किया हुआ है, राष्ट्रीय प्रतीकों के लिए असम्मान दिखाना, धार्मिक भावनाएं भड़काना, सरकार के प्रति हिंसा दिखाना, चाइल्ड पॉर्नोग्रफी दिखाना शामिल है। जिसे पूरा परिवार साथ देख सकेसोमवार की मीटिंग में जावड़ेकर ने अपने घर का उदाहरण दिया कि कैसे एक फायर स्टिक से वे इन प्लैटफॉर्म का कॉन्टेंट देखते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अधिकतर भारतीय परिवारों में लोग एक साथ बैठकर शो देखते हैं, चाहे वह ओटीटी कॉन्टेंट ही क्यों न हो। इसलिए इतना नियंत्रण होना चाहिए कि ये साथ बैठकर देखने लायक हों। डीसीसीसी के एक सदस्य ने मुंबई मिरर को बताया कि सरकार की ओर से कहा गया कि कॉन्टेंट को लेकर कोई सेंसरशिप नहीं है, लेकिन कंपनियों से यह उम्मीद की जा रही है कि वे अच्छे सुझाव लाएं कि कैसे कॉन्टेंट को अलग अलग कैटिगरी और उम्र के लोगों के लिए देखने लायक बनाया जाए। उन्होंने कहा, 'हालांकि अब तक इन ओटीटी प्लेयर्स की तरफ से कोई सहमति नहीं बन पाई है, लेकिन उम्मीद कर रहे हैं कि डीसीसीसी के माध्यम से ज्यादा लोग जुड़ेंगे।' यहां जावड़ेकर ने चीन, फ्रांस और सिंगापुर के उदाहरण दिए और बताया कि सरकार ने वहां नियंत्रण कर रखा है, जबकि मीटिंग में शामिल लोगों ने बताया कि सिंगापुर में सेल्फ रेग्युलराइजेशन है। एमएक्स प्लेयर के सीईओ करण बेदी ने मीटिंग को कारगर बताया और कहा, 'केंद्रीय मंत्री समेत सभी इस बात पर राजी थे कि यह ऐसा मुद्दा है जिसपर पूरी इंडस्ट्री की सहमति हो। एक बार यह हो जाए तो मंत्रालय के सामने पेश करेंगे।' पिछले हफ्ते मशहूर शो रोका गयापिछले हफ्ते डिज्नी के स्वामित्व वाले हॉटस्टार पर मशहूर शो 'लास्ट वीक टुनाइट विद जॉन ओलिवर' के नए एपिसोड को रोक दिया गया जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की गई थी। यूट्यूब पर मौजूद इस एपिसोड को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान तैयार किया गया था। ओलिवर मोदी की नीतियों खासकर नागरिकता के मुद्दे पर बात कर रहे थे। इससे पहले अक्टूबर में भी जावड़ेकर ने इन ओटीटी प्लैटफॉर्म्स के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी और उनके सुझाव मांग थे जिससे दोनों पक्ष अधिकतर बातों पर सहमत हो सकें। फरवरी में डीसीसीसी तैयार हुई और रिटायर्ड जस्टिस ए. पी. शाह को इसका चेयरमैन बनाया गया। हालांकि इस काउंसिल की शक्तियों पर फाइनल बात नहीं हो पाई थी। इसमें 5 से 7 सदस्य शामिल करने की बात हुई जिसमें से 2 ओटीटी प्लैटफॉर्म्स के प्रतिनिधि होने तय हुए।
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