शायरी, सिनेमा और किस्सागोई के सुपरस्टार ने कला के जिस पहलू में हाथ आजमाया, वह विनर ही साबित हुए। एनबीटी की 75वीं वर्षगांठ के खास मौके पर शायर गुलजार हमारे गेस्ट एडिटर रहे। इस दौरान उन्होंने भारत, भारतीयता और मौजूदा साहित्य समेत कई मुद्दों पर बात रखी। गुलजार ने कहा, 'मैं हिंदुस्तानी हूं और हिंदुस्तान पर फख्र करता हूं। न मुझे किसी और मुल्क में पैदा होने की ख्वाहिश थी, ना है और ना होगी। इस जन्म के बाद भी मैं इसी हिंदुस्तान में पैदा होना चाहूंगा।' अपनी जादुई लेखनी के बारे में गुलजार ने कहा, 'जैसी जिंदगी जी, जो महसूस किया, वो लिखा। यह सोचकर नहीं लिखा कि ये कितने लोगों को प्रभावित करेगा।' उन्होंने बताया कि स्टीफेन जवाइग और गेब्रियल गार्सिया मार्खेज, पाकिस्तानी लेखक मुस्तंसार हुसैन तरार जैसे कई लेखक हैं, जिन्होंने उन्हें काफी प्रभावित किया। बता दें कि कई नैशनल और इंटरनैशनल अवॉर्ड जीत चुके गुलजार ने शायरी और गाने लिखने के अलावा कई बेहतरीन फिल्मों का डायरेक्शन भी किया है। उन्होंने 'अंगूर', 'नमकीन', 'आंधी', 'मौसम', 'परिचय', 'कोशिश', 'मेरे अपने' जैसी बेहतरीन फिल्मों का डायरेक्शन किया है।
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